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Chapter 8 ऋतुराज ( कन्यादान )

Class 10th हिन्दी क्षितिज भाग -2


कक्षा 10 की एनसीईआरटी पुस्तक "क्षितिज भाग 2" ऋतुराज (कन्यादान)

कक्षा 10 की एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग 2" में शामिल "कन्यादान" प्रसिद्ध कवि ऋतुराज की एक गहन और भावुक कविता है। ऋतुराज आधुनिक हिंदी कविता के महत्वपूर्ण कवियों में से एक हैं, जिनकी रचनाएँ संवेदनशीलता, मानवीय भावनाओं और सामाजिक मुद्दों को बारीकी से उकेरती हैं.

कविता का सार:

"कन्यादान" कविता एक पिता की भावनाओं को व्यक्त करती है, जो अपनी बेटी के विवाह के समय उससे विदाई लेने के क्षणों में उमड़ती हैं। इस कविता में एक पिता के हृदय के उस भावुक क्षण का वर्णन किया गया है, जब वह अपनी बेटी को विदा कर रहा होता है। कन्यादान एक पवित्र और महत्वपूर्ण संस्कार है, परंतु यह एक पिता के लिए अत्यंत भावुक और कठिन अनुभव भी है.

कविता में पिता की बेटी के प्रति असीम प्रेम, चिंता, और दुलार का सुंदर चित्रण किया गया है। वह अपनी बेटी को समाज की कठिनाइयों, परंपराओं और नई जिम्मेदारियों के साथ जीने की सीख देता है, और यह भी चाहता है कि उसकी बेटी हमेशा खुश रहे.

भावार्थ:

कविता में ऋतुराज ने कन्यादान के समय होने वाले भावनात्मक द्वंद्व को सजीव रूप में प्रस्तुत किया है। पिता की बेटी के प्रति ममता और उसके जीवन की नई शुरुआत को लेकर उसकी चिंताएँ, इस कविता के मुख्य भाव हैं। यह कविता परंपरा और भावनाओं के मेल को दर्शाती है, जहाँ एक ओर पिता बेटी के सुखद भविष्य की कामना करता है, वहीं दूसरी ओर उसकी विदाई का दुख भी झलकता है.

महत्त्व:

"कन्यादान" कविता का महत्त्व इस बात में है कि यह भारतीय समाज में पिता और बेटी के बीच के गहरे रिश्ते और विवाह की परंपरा के दौरान उत्पन्न होने वाली भावनाओं को बखूबी व्यक्त करती है। ऋतुराज की यह रचना छात्रों को न केवल सामाजिक संस्कारों की समझ देती है, बल्कि उन्हें मानवीय संवेदनाओं से भी अवगत कराती है। इस कविता के माध्यम से छात्रों को परिवार, परंपरा और भावनात्मक संबंधों के गहरे मायनों का अनुभव होता है.